ख़ुदा के रहम ओ करम से, हम साल के आखरी कुछ हफ्तों में पहुंच गए हैं। कड़वी और मीठी यादें, आपके ज़हन में अब भी ताज़ा होंगीं। दिन और तारीख बदल जाने से कुछ नहीं होगा, अगर आपका सोच नहीं बदलता है। आपको क्या भूल जाना और क्या याद रखना है, ये फ़ैसला आपको करना है। कड़वी यादों को साथ लेकर, आप नए साल में मिठास को तलाश नहीं सकते। मैं जानता हूं जो मैं लिख रहा हूं वो मुश्किल है, मगर नामुमकिन भी नहीं है।
पौलूस कहता है— जो बातें पीछे रह गईं, उनको भूलकर आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ; निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं। क्या ये सच नहीं है, के आपने परेशानियों में भी, ख़ुदा को अपने नज़दीक पाया। क्या ये सच नहीं है, के उसने आंधियों के विरुद्ध उड़ने की सामर्थ भी दी। क्या ये सच नहीं है, के उसके पाक़ कलाम ने कई बार आपसे बातें की हैं। तो ख़ुश रहिये, न सिर्फ़ 2023 को, बल्के दुखों को भी अलविदा कहिए।