जब विश्वास टूट जाता है, तो समझो आपके और ख़ुदा के बीच
का पुल टूट जाता है।
आपके सामने चाहे लाल समुंदर हो, यरीहो की दीवार, या शेरों की मांद हो; मज़बूत ईमान सब आसान बना देता है।
मैं ज़िंदगी में कभी चुनौती देने वालों से नहीं डरी। इस जंग में सिर्फ़ हौसले की नहीं, अटूट विश्वास की ज़रूरत होती है।
दुनियां कुछ भी कहती रहे, या सोचती रहे उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता; फ़र्क पड़ता है विश्वास के टूटने से।
मीका 7.8 में लिखा है— हे मेरी बैरिन, मुझपर आनंद मत कर, क्योंकि ज्यों ही मैं गिरूंगा त्यों ही उठूंगा, और ज्यों ही मैं अंधकार में पडूंगा, त्यों ही यहोवा मेरे लिए ज्योति का काम देगा।
दुष्ट विपत्ति में गिरता है, और पड़ा रहता है। सादिक { धर्मी } अगर सात बार भी गिरे, तौभी उठकर खड़ा हो जाता है।
येशू के रहते पतरस का गर्क होना, नामुमकिन था। इसके पहले की हम गिरें, ख़ुदा अपना हांथ बढ़ा देता है।
ख़ुदा के रहम ओ करम से, हम साल के आखरी कुछ हफ्तों में पहुंच गए हैं। कड़वी और मीठी यादें, आपके ज़हन में अब भी ताज़ा होंगीं। दिन और तारीख बदल जाने से कुछ नहीं होगा, अगर आपका सोच नहीं बदलता है। आपको क्या भूल जाना और क्या याद रखना है, ये फ़ैसला आपको करना है। कड़वी यादों को साथ लेकर, आप नए साल में मिठास को तलाश नहीं सकते। मैं जानता हूं जो मैं लिख रहा हूं वो मुश्किल है, मगर नामुमकिन भी नहीं है।
पौलूस कहता है— जो बातें पीछे रह गईं, उनको भूलकर आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ; निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं। क्या ये सच नहीं है, के आपने परेशानियों में भी, ख़ुदा को अपने नज़दीक पाया। क्या ये सच नहीं है, के उसने आंधियों के विरुद्ध उड़ने की सामर्थ भी दी। क्या ये सच नहीं है, के उसके पाक़ कलाम ने कई बार आपसे बातें की हैं। तो ख़ुश रहिये, न सिर्फ़ 2023 को, बल्के दुखों को भी अलविदा कहिए।